Friday, 4 October 2013

वास्तविक सन्यासी कौन है?

ज्ञेयः स नित्यसंन्यासी यो न द्वेष्टि न काङ्क्षति।
निर्द्वन्द्वो हि महाबाहो सुखं बन्धात्प्रमुच्यते॥५- ३॥
उसे तुम सदा संन्यासी ही जानो जो न घृणा करता है और न इच्छा करता है।  हे महाबाहो, द्विन्दता से मुक्त व्यक्ति आसानी से ही बंधन से मुक्त हो जाता है॥
A person should be considered a true renunciant who has nei­ther attachment nor aversion for anything. One is easily liberated from Karmic bondage by becoming free from the pairs of opposites such as attachment and aversion.

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