Saturday, 23 November 2013

श्रीकृष्ण और श्रीमद्भगवद् गीता


अध्येष्यते च य एमं धम् र्यं संवादमावयोः। 
ज्ञानयज्ञेन तेनाहमिष्टः स्यामिति मे मतिः।।
श्रद्धावाननसूयश्च श्रृणुयादपि यो नरः। 
सःअपि मुक्तः शुभांल्लोकांपराप्नुयात्पुण्यकर्मणाम्।।  

भगवान  श्रीकृष्ण गीता संवाद के सापेक्ष कहते हैं कि :

"और मैं घोषित करता हूँ कि जो हमारे इस पवित्र संवाद का अध्ययन करता है , वह अपनी बुद्धि से मेरी पूजा करता है।  और जो श्रृद्धा समेत तथा द्वेषरहित होकर इसे सुनता है , वह सारे पापों से मुक्त हो जाता है और उन शुभ लोकों को प्राप्त होता है , जहाँ पुण्यात्माएँ निवास करती हैं। "

And for one who will study this most righteous discourse of ours; I shall be propitiated by that as a performance of sacrifice of wisdom; this is My proclamation. Even the person who only listens to this with faith and without envy is liberated and will reach the elevated planetary system of those of virtuous activities.  

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